मैंने अपने जीवन के शुरुआती पेशे के रूप में पहले भारतीय सेना तथा बाद में ’’भारतीय पुलिस सेवा’’ के तहत हरियाणा कैडर में रहकर इस प्रदेश तथा देश के जन-कल्याण हेतु अनुषासन में रहकर कार्य किया है। मेरी शिक्षा तथा पेशेवर पुलिस सेवाओं के अनेक अवकाश के दिनों में मैंने अपने जीवन के अनेकों सांस्कृतिक लम्हें अपने गाँव लहरियाँ के ग्रामीण आंचल में बिताए हैं। इन बिताए गए लम्हों ने मेरी लोक-संस्कृति के प्रति बौद्धिक प्यास को एक ऊर्जा दी और इस कड़ी में मैंने अपने पुलिस के व्यवसायिक जीवन में प्राचीन एवं ऐतिहासिक पुलिस भवनों का सौन्दर्य पुनः स्थापित किया। ये पुलिस भवन थानों के रूप में प्रयोग किए जाते रहे है, जिनकी वास्तु ब्रिटिश-काल की है।
Sh. Yoginder Singh Nehra
श्री योगिन्द्र सिंह नेहरा, भापुसे (सेवानिवृत)
पूर्व निदेशक, हरियाणा पुलिस अकादमी, मधुबन
ग्रामीण आंचल की ऐतिहासिक धरोहरें आपसी भाई-चारे में गुथी हुई है, इसमें सभी वर्ग, जातियाँ, हमारे कुओं की परंपराएँ, धोती-कुर्ता और पगड़ी व साफ़े, हस्तकलाएँ, चैपालों व परस की संस्कृति आदि की अपनी बानगी रही है। इस विरासत के प्रति मेरी कलात्मक संवेदनाएँ बनने के कारण ही मैंने अपने गाँव के ऐतिहासिक कुएँ का जीर्णोद्धार करके इस कुएं के मूल कलात्मक रूप को लौटाने का एक सफल प्रयास किया। मेरे जीवन का यही सशक्त प्रयास रहेगा कि हमारी मूल्यवान परंपराओं को संरक्षित करते हुये नई पीढ़ी को इन प्रयासों में भागीदार बनाएं ताकि हमारी मनोहारी धरोहरें जीवित रहें और यह परंपरा आगे चलती रहे। यह वैबसाईट सतग्राम डोट कॉम इसी दिशा में किये गये कार्यों से जनमानस को परिचित कराने और इस महत्वपूर्ण कार्य में साथ जोड़ने का प्रयास है – जय हिन्द।